उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन के बाद 50 मजदूरों को बचाया गया, जिनमें से 4 की मृत्यु हो गई है। अभी भी 5 मजदूर बर्फ में फंसे हैं, और बचाव कार्य जारी है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास 28 फरवरी 2025 को हुए हिमस्खलन में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 55 मजदूर फंस गए थे। बचाव दल ने अब तक 50 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला है, लेकिन इनमें से 4 की मृत्यु हो गई है। शेष 5 मजदूर अभी भी बर्फ में फंसे हुए हैं, और उनका रेस्क्यू जारी है।
बचाव अभियान की चुनौतियाँ
हिमस्खलन के बाद से ही सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। प्रतिकूल मौसम, भारी बर्फबारी और दुर्गम भूभाग के कारण बचाव कार्य में कठिनाइयाँ आ रही हैं। बर्फ की मोटी परत और लगातार बदलते मौसम ने अभियान को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
हेलीकॉप्टर की सहायता
बचाव कार्य को तेज करने के लिए भारतीय सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है। कुल 6 हेलीकॉप्टर, जिनमें सेना के 3 चीता, वायुसेना के 2 चीता और एक नागरिक हेलीकॉप्टर शामिल हैं, बचाव अभियान में तैनात किए गए हैं। सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण हवाई मार्ग से बचाव कार्य को प्राथमिकता दी गई है।
मुख्यमंत्री का दौरा और राहत प्रयास
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को तेजी से राहत और बचाव कार्य करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
प्रभावित मजदूरों की पहचान
बचाव दल द्वारा जारी सूची के अनुसार, फंसे हुए मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों से हैं। यह घटना उनके परिवारों के लिए गहरी चिंता का विषय है, और राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
भविष्य की चुनौतियाँ और सावधानियाँ
यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण और विकास कार्यों के दौरान सुरक्षा मानकों की पुनः समीक्षा की आवश्यकता को उजागर करती है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
सुरक्षा प्रशिक्षण: मजदूरों और कर्मचारियों को हिमस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
मौसम पूर्वानुमान: काम शुरू करने से पहले मौसम की सटीक जानकारी और पूर्वानुमान पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
आपदा प्रबंधन योजनाएँ: हर निर्माण स्थल पर आपदा प्रबंधन की ठोस योजना होनी चाहिए, जिसमें आपातकालीन निकासी मार्ग और संचार प्रणाली शामिल हों।
चमोली जिले में हुए इस हिमस्खलन ने एक बार फिर से पहाड़ी क्षेत्रों में कार्यरत मजदूरों की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया है। बचाव दल की तत्परता और समर्पण ने कई जानें बचाई हैं, लेकिन अभी भी फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित निकालना प्राथमिकता है। आशा है कि आगामी दिनों में बचाव कार्य सफलतापूर्वक पूरा होगा और प्रभावित परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
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